बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जन कल्याण शिक्षण प्रसार समिति द्वारा कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के सहयोग से लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 पर समझ विकसित करने के लिए एकदिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन सरस हाल, विकास भवन कौशांबी में डॉ रवि किशोर त्रिवेदी मुख्य विकास अधिकारी कौशांबी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। परियोजना अधिकारी मुदित मिश्रा ने संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों का प्रस्तुतीकरण किया गया। मुदित मिश्रा ने बताया कि संस्था द्वारा कौशांबी जनपद के 50 ग्राम पंचायतों पर सघन रूप से बाल विवाह, बाल श्रम तथा बाल यौन शौषण के विषय में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। 50 ग्राम पंचायतों में लगभग बाल विवाह रोकथाम के लिए लगभग 83 हजार लोगो को शपथ दिलाई जा चुकी हैं तथा 56 बालको को बाल श्रम से मुक्त कराने में सहयोग किया गया है। कमलेश कुमार अध्यक्ष बाल कल्याण समिति ने बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का परिचय देते हुए बताया कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ हो रहे यौन शोषण को रोकने और बच्चों की संरक्षण व सुरक्षा के लिए बनाया गया है बाल विवाह तथा लैंगिक अपराध व बाल एवं शोषण एक दूसरे के पूरक है। भारत दुनिया में बच्चों की सबसे बड़ी आबादी में से एक है 2011 की जनगणना के आंकड़ों से पता चला कि भारत में 18 साल से कम उम्र के 472 मिलियन बच्चों की आबादी है। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य बच्चों को यौन उत्पीड़न अश्लील साहित्य और यौन उत्पीड़न के अपराधों से बचाना है। पास्को एक्ट यौन अपराधो से बच्चों का संरक्षण करने के लिए बनाया गया है यह वर्ष 2012 में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है इस एक्ट के जरिए 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के प्रति यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान किया जाता है। मुख्य विकास अधिकारी डॉक्टर रवि किशोर त्रिवेदी जी ने बताया कि बाल विवाह जैसी कुरीतिया समाज में अभिशाप है। बाल विवाह की वजह से कुपोषित बच्चे पैदा होते हैं तथा मां का भी स्वास्थ्य खराब होता है। संस्था द्वारा चलाए जा रहे अभियान की प्रसंशा करते हुए कहा कि बाल विवाह को खत्म करने के लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा तभी इस तरह की कुरीतिया समाज से समाप्त होंगी। जिला विद्यालय निरीक्षक कौशांबी सच्चिदानंद यादव ने बताया कि पाक्सो एक्ट 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ किए गए लैंगिक अपराधों से संबंधित है जबकि किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम 2015 कानून के साथ संघर्षरत बालको या किशोर अपराधी के साथ-साथ देखभाल और संरक्षण के जरूरतमंद बालको पर भी लागू होता है यह कानून उन बच्चों की बुनियादी जरूरत को समुचित देखभाल संरक्षण व्यवहार एवं समाज की मुख्य धारा से जोड़ते हुए पूरा करता है यह अधिनियम बच्चों संबंधित सभी मुद्दों से निपटने वाला एक व्यापक कानून है। बाल यौन शोषण का प्रभाव बच्चों के मानसिक शारीरिक और सामाजिक स्तर पर पड़ता है इसका बच्चों को पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ता है जैसे बुरे सपने, नींद में गड़बड़ी, उदासीनता, पढ़ाई में रुचि का अभाव, चिंता तथा यह आत्महत्या का भी कारण बन सकता है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कमलेंद्र कुशवाहा जी ने बताया कि 20-24 वर्ष की आयु वर्ग की 23 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले कर दी जाती है। 2011 की जनगणना के अनुसार 45 लाख लड़कियों की शादी 15 वर्ष की आयु से पहले हो चुकी थी और उनके बच्चे भी थे। देश भर में वर्ष 2021 में बाल विवाह के 1050 मामले दर्ज किए गए। बाल विवाह की संख्या में कमी से एक बात तो निश्चित है कि इस स्वीकार किया गया है और इसी के कारण इसकी संख्या में कमी आ रही है अगर सभी बच्चों की शिक्षा पूरी कराने के बाद विवाह किया जाए तो बाल विवाह अपने आप खत्म हो जाएगा और वह समाज में एक अच्छी स्थिति में अपने आप को स्थापित कर सकेंगे। जिला प्रोवेशन अधिकारी नीरज जी ने बताया कि बालको के कल्याण के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की जन कल्याण कारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं जिसमे लोगो को आगे आकर इनका लाभ लेना चाहिए। संरक्षण अधिकारी कौशांबी अजीत कुमार ने कन्या सुमंगला योजना, मिशन वात्सल्य के विषय में लोगो को विस्तार से जानकारी प्रदान की। संस्था सचिव शंकर दयाल ने सभी आए हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
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